भारत में 12 प्रमुख और 200 छोटे बंदरगाह हैं जो निर्यात-आयात व्यापार के लिए प्रवेश द्वार का काम करते हैं। ये बंदरगाह लगभग 7500 किलोमीटर के समुद्र तटीय क्षेत्र में फैले हैं। प्रमुख बंदरगाह भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं और इनका नियमन एक नए प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2016 के जरिए किया जाता है। यह विधेयक मौजूदा प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के स्थान पर लाया गया था। कुल कार्गो यातायात का लगभग 57% यातायात इन्हीं 12 प्रमुख बंदरगाहों पर होता है। पोत परिवहन मंत्रालय के अनुसार, भारत का कारोबार, मात्रा के हिसाब से 95% और मूल्य के हिसाब से 75%, समुद्री परिवहन के माध्यम से होता है।
भारत को अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन परिषद [आईएमओ] में श्रेणी "बी" में अंतरराष्ट्रीय समुद्री जीव व्यापार में सबसे बड़े हितधारक देशों के प्रतिनिधि के रूप में द्विवार्षिक आधार पर 2018-19 के लिए फिर से चुना गया है। 1 दिसंबर, 2017 को लंदन में आयोजित आईएमओ असेंबली के 30वें सत्र के दौरान उक्त श्रेणी में भारत का चयन किया गया, जो सबसे अधिक वोट पाने वाले देशों में दूसरे स्थान पर रहा।
चूंकि भारत में लगभग 90% व्यापार (मात्रा के अनुसार) और 70% (मूल्य के अनुसार) बंदरगाहों के जरिए होता है, इसलिए बढ़ते व्यापार के साथ देश का कार्गो यातायात भी बढ़ा है।
क्षमता और यातायात
अक्टूबर 2018 में भारतीय जहाजों के बेड़े में 25 जहाज बढ़े। 31 अक्टूबर, 2018 को भारतीय जहाजों की संख्या 1399 हो गई, जो 31 दिसम्बर 2017 को 1374 थी।
पिछले चार वर्षों में सरकार द्वारा लाए गए विभिन्न नीतिगत बदलावों के चलते भारत में नाविकों की संख्या में 42.3% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। दिसंबर 2017 में नाविकों की संख्या 1,54,349 थी, जबकि दिसंबर 2018 में यह संख्या बढ़कर 1,79,599 हो गई।
पोत परिवहन मंत्रालय, राज्य सरकारों के साथ मिलकर समग्र बंदरगाह क्षमता को 3500+ मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) तक बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, जो 2025 तक 2500 एमएमटीपीए होगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने 249 बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजनाएं चिह्नित की हैं। इनमें से 67,962 करोड़ रुपए की 107 बंदरगाह क्षमता विस्तार परियोजनाएं तो 12 प्रमुख बंदरगाहों के मास्टर प्लान से ही चिह्नित की गई हैं। इससे, अगले 20 वर्षों में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता 794 एमएमटीपीए तक बढ़ने की उम्मीद है। बीते कुछ वर्षों में, प्रमुख बंदरगाहों पर कार्गो परिवहन क्षमता में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो निम्नानुसार है:
वर्ष | क्षमता |
---|---|
2013 - 14 | 744.91 |
2014 - 15 | 800.52 |
2015 - 16 | 965.36 |
2016 - 17 | 1359.0 |
2017 - 18 | 1451.19 |
*पुनर्निर्धारित- अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार बर्थिंग पॉलिसी के आधार पर बंदरगाहों की क्षमता पुनर्निर्धारित की गई है। स्रोत: पोत परिवहन मंत्रालय |
वित्तीय वर्ष 2018 में प्रमुख भारतीय बंदरगाहों की क्षमता 1451.19 एमटीपीए तक हो गई, जबकि वित्तीय वर्ष 2014 में यह सिर्फ 744.91 एमटीपीए थी। भारतीय बंदरगाह संघ के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2018 के दौरान, पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में यातायात में सबसे अधिक बढ़ोतरी कामराजार बंदरगाह (18.38%) पर हुई। इसके बाद कोचीन (8.92%), कोलकाता [हल्दिया सहित] (8.7%), पारादीप ( 8.11%) और जेएनपीटी (7.39) बंदरगाह का स्थान रहा। इसके अतिरिक्त, प्रमुख बंदरगाहों पर माल उतारने और लादने का औसत समय भी पिछले चार वर्षों में एक तिहाई कम हुआ है और यह वित्तीय वर्ष 2014 के 3.84 दिन से घटकर वित्तीय वर्ष 2018 में 2.7 दिन रह गया है।
प्रमुख बंदरगाहों पर मालवाहक यातायात
साल | कार्गो (एमटी) | वृद्धि दर |
---|---|---|
2013 - 14 | 555.5 | 2% |
2014-15 | 581.3 | 5% |
2015-16 | 606.5 | 4% |
2016-17 | 648.4 | 7% |
2017-18 | 679.4 | 5% |
स्रोत: पोत परिवहन मंत्रालय |
भारत में प्रमुख बंदरगाहों पर कार्गो यातायात वित्तीय वर्ष 2018 में 679.36 एमएटी था, जो वित्तीय वर्ष 08-18 तक 2.73% के सीएजीआर से बढ़ा। वित्तीय वर्ष 2019 (अक्टूबर 2018 तक) में, कंटेनर ट्रैफिक में 8.35% की वृद्धि देखी गई। बीस फीट समतुल्य यूनिट (टीईयू) इस अवधि के दौरान 6488 पर पहुंच गया। मैरीटाइम एजेंडा 2010-20 में बंदरगाह क्षमता 2020 तक 3,130 मीट्रिक टन करने का लक्ष्य रखा गया है।
अप्रैल 2017- जनवरी 2018 की अवधि के दौरान बंदरगाहों पर संचालन : पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक (ल्यूब्रिकैन्ट) (33.74%) के बाद कंटेनर (19.70%), थर्मल और स्टीम कोयला (13.72%), अन्य विविध वस्तुएं (12.09%), कोकिंग और अन्य कोयला (7.60%), लौह अयस्क और छर्रे (6.72%), अन्य तरल (4.15%), तैयार खाद (1.17%) का स्थान रहा। 2016-17 में छोटे बंदरगाहों पर संचालित ट्रैफिक 485.213 मिलियन टन दर्ज किया गया था। प्रति जहाज प्रति बर्थडे औसत आउटपुट 2017-18 के 15333 टन से बढ़कर 2018-19 (अक्टूबर 2018 तक) में 16166 टन हो गया।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)
इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए, सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है। बंदरगाहों के निर्माण और रखरखाव से संबंधित परियोजनाओं के लिए ऑटोमैटिक रूट से 100% एफडीआई की अनुमति है।
बंदरगाह क्षेत्र में, भारत की सबसे बड़ी एफडीआई परियोजना जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (चरण- I) के चौथे कंटेनर टर्मिनल का उद्घाटन हाल ही में हुआ जिसमें कुल 7935 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इस निवेश से, जेएनपीटी पर कंटेनर हैंडलिंग क्षमता 5.15 मिलियन टीईयू से बढ़कर 7.55 मिलियन टीईयू हो जाएगी।
परिदृश्य
सकारात्मक दृष्टिकोण को देखते हुए, 2020 तक प्रमुख बंदरगाहों में प्रस्तावित निवेश कुल 18.6 अरब यूएस डॉलर होने की उम्मीद है, जबकि छोटे बंदरगाहों में 28.5 अरब यूएस डॉलर होने का अनुमान है। 2021-22 तक, भारतीय बंदरगाहों पर अनुमानित कार्गो ट्रैफिक 1695 मिलियन मीट्रिक टन होगा, जिसमें 2014-15 से 643 मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि होगी।
राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 तक भारतीय बंदरगाहों पर कुल 2422 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो हैंडलिंग क्षमता की आवश्यकता होगी। इस क्षमता को पूरा करने के लिए, अगले 6 से 7 वर्षों में भारतीय बंदरगाहों पर 901 मिलियन मीट्रिक टन की अतिरिक्त कार्गो हैंडलिंग क्षमता बनानी होगी। पोत परिवहन मंत्रालय ने 15 अरब यूएस डॉलर के नियोजित परिव्यय के साथ राष्ट्रीय समुद्री विकास नीति शुरू की है। 10 अरब यूएस डॉलर से अधिक की पोर्ट परियोजनाओं को आगामी पांच वर्षों में चालू करने के लिए चिह्नित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं:
ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत के बढ़ते एकीकरण के लिए एक सुव्यवस्थित बंदरगाह बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। बढ़ता निवेश और कार्गो भारतीय बंदरगाह क्षेत्र की बेहतरी की ओर संकेत करता है। बंदरगाहों पर क्षमता वृद्धि 2022 तक 5-6% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है, जिससे 275-325 मीट्रिक टन क्षमता बढ़ जाएगी। सागरमाला कार्यक्रम के तहत, सरकार ने वर्ष 2035 तक 1.42 ट्रिलियन रुपए (22 अरब यूएस डॉलर) के निवेश वाले बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए कुल 189 परियोजनाओं को चिह्नित किया है।
पोत परिवहन मंत्रालय ने 2020 तक 3,130 एमएमटी से अधिक की लक्ष्य क्षमता निर्धारित की है, जो निजी क्षेत्र की भागीदारी से पूरा किया जाएगा। छोटे बंदरगाहों से इस क्षमता का 50% से अधिक उत्पन्न होने की संभावना है।
चुनिंदा सरकारी प्रोत्साहन
वार्षिक बजट 2018-19 में पोत परिवहन मंत्रालय को 289 मिलियन यूएस डॉलर का आवंटन किया गया। वार्षिक बजट 2018-19 में इस क्षेत्र के लिए किए गए कुछ प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
बंदरगाहों, अंतर्देशीय जलमार्गों और अंतर्देशीय बंदरगाहों के विकास, रखरखाव और संचालन के व्यवसाय में लगे उद्यमों को 10 साल के लिए कर में छूट दी गई है।
प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में संभावित सुधार क्षेत्रों की पहचान करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रोजेक्ट उन्नति शुरू किया गया है। इस परियोजना के तहत, क्षमता में सुधार के माध्यम से 12 प्रमुख बंदरगाहों पर 100 एमटीपीए क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 116 पहलें चिह्नित की गई थीं। लगभग 80 एमटीपीए क्षमता बढ़ाने के लिए इनमें से 91 पहलें लागू की जा चुकी हैं।
वीओसीपीटी - बर्थ में प्रकाश व्यवस्था, डॉकिंग / बंदरगाह पर अन-डॉकिंग के लिए उथले जल बर्थ के नाइट नेविगेशन को जून, 2018 में अनुमति दे दी गई थी।
विशाखापट्टनम - विशाखापट्टनम में 13 जुलाई, 2018 को 1062 करोड़ रुपए की बंदरगाह परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया और 679 करोड़ रुपए की बंदरगाह संपर्क परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया। इनमें विशाखापट्टनम बंदरगाह के आउटर हार्बर में लौह अयस्क हैंडलिंग सुविधा का उन्नयन, सागरमला के नीचे से गुजरने वाले कॉन्वेन्ट जंक्शन को बाइपास करते हुए पोर्ट कनेक्टिविटी रोड को एच-7 क्षेत्र से अलग करने वाले ग्रेड सैपरेटर का निर्माण, और श्रीपालनगर जंक्शन से अनाकापल्ली- सब्बावरम/ पेंडुरती- आनंदपुरम रोड (एनएच 16) तक वीपीटी के लिए 12.7 किलोमीटर सड़क का विकास शामिल है।
सागरमाला - 2015-2035 के दौरान सागरमाला परियोजना के तहत 8.8 करोड़ रुपए की 604 से अधिक परियोजनाएं क्रियान्वयन के लिए चिह्नित की गई हैं। ये परियोजनाएं बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और नए बंदरगाहों के विकास, बंदरगाहों से संपर्क बढ़ाने, बंदरगाह से जुड़े औद्योगीकरण और तटीय सामुदायिक विकास जैसे क्षेत्रों में चिह्नित की गई हैं। 30 सितम्बर 2018 तक, कुल 522 परियोजनाएं (लागत लगभग 4.32 लाख करोड़ रुपए) कार्यान्वयन, विकास और पूर्णता के विभिन्न चरणों में थीं। इनमें से 0.14 लाख करोड़ रुपए की 89 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 4.32 लाख करोड़ रुपए की 443 परियोजनाएं क्रियान्वयन और विकास के विभिन्न चरणों में हैं। सागरमाला कार्यक्रम का उद्देश्य निर्यात-आयात और घरेलू व्यापार के लिए रसद लागत को कम करने की दृष्टि से बंदरगाहों के जरिए विकास को बढ़ावा देना है।
नए बंदरगाहों का विकास - प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाने संबंधी परियोजनाओं के अलावा, समग्र कार्गो हैंडलिंग क्षमता बढ़ाने के लिए 6 नए बंदरगाहों को चिह्नित किया गया है। इनमें वधावन (महाराष्ट्र), एनायम (तमिलनाडु), ताजपुर (पश्चिम बंगाल), पारादीप बाहरी हार्बर (ओडिशा), सिरकाझी (तमिलनाडु) और बेलेकी (कर्नाटक) शामिल हैं।
बंदरगाहों के जरिए औद्योगिकीकरण - सभी समुद्री राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने वाले 14 तटीय आर्थिक क्षेत्रों (सीईजेड) की पहचान की गई है। इसके अलावा, ऊर्जा, सामग्री, तैयार उत्पादों का विनिर्माण और समुद्री क्षेत्रों में बंदरगाहों से जुड़े 38 संभावित औद्योगिक क्लस्टरों की पहचान की गई है। इन औद्योगिक पार्कों में से सतारा, महाराष्ट्र में एक मेगा खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) पार्क (139 करोड़ रुपए) का काम पूरा हो चुका है और कृष्णापट्टनम (आंध्र प्रदेश), एन्नोर (तमिलनाडु) और तूतीकोरिन (तमिलनाडु) में 3 पावर क्लस्टर (76547 करोड़ रुपए), आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, केरल और पश्चिम बंगाल में 8 इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (1704 करोड़ रुपए) और आंध्र प्रदेश और केरल में 3 खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों (1,348 करोड़ रुपए) का काम जारी है। इसके अलावा जेएनपीटी पर एसईजेड (12,624 करोड़ रुपए), पारादीप (3,350 करोड़ रुपए) और कांडला (11,147 करोड़ रुपए) में स्मार्ट इंडस्ट्रियल पोर्ट सिटी और वीओसीपीटी तथा केपीएल में तटीय रोजगार इकाइयों का काम भी जारी है।
तटीय शिपिंग - व्यापार में छूट: जहाज पर कुल कार्गो के 50% तक उर्वरक की न्यूनतम आवाजाही, किसी भारतीय बंदरगाह पर केवल तटीय आवाजाही के लिए लोड किए गए कार्गो पर लागू होती है। तटीय बर्थ योजना के तहत 1,535 करोड़ रुपए की 41 परियोजनाओं के लिए 633 करोड़ रुपए के वित्तीय सहयोग को मंजूर दी गई हैं। इसमें से प्रमुख बंदरगाहों / राज्य समुद्री बोर्डों / राज्य सरकारों को 334 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
कौशल विकास - पोत परिवहन मंत्रालय मछुआरा समुदाय की आजीविका में सुधार लाने के लिए पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन विभाग के साथ मिलकर मत्स्य पालन परियोजनाओं का आंशिक वित्तपोषण कर रहा है। इसके लिए, 1189 करोड़ रुपए की 13 परियोजनाओं के लिए 323 करोड़ रुपए की निधि को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं से 1.5 लाख से अधिक मछुआरों को लाभ होने की उम्मीद है और इससे मत्स्य पालन की उनकी क्षमता 2.3 लाख टन से अधिक हो जाएगी।
आईआरएस और सीमेंस के साथ मिलकर विशाखापट्टनम और मुंबई में 766 करोड़ रुपए की लागत से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन मैरिटाइम एंड शिपबिल्डिंग स्थापित किया गया है। इस केंद्र का उद्देश्य जहाज के डिजाइन, विनिर्माण, परिचालन और रखरखाव, मरम्मत और जांच-परीक्षण में घरेलू कौशल की आवश्यकता को पूरा करना है।
राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तटीय प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी) - पोत परिवहन मंत्रालय ने देश में बंदरगाहों, जलमार्गों और तटों से संबंधित विभिन्न मुद्दों के लिए नवीन और अनुसंधान आधारित इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करने के लिए चेन्नई में आईआईटी मद्रास में राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तटीय प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र बंदरगाहों, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और अन्य संबंधित संस्थाओं को आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए पोत परिवहन मंत्रालय की प्रौद्योगिकी शाखा के रूप में कार्य करेगा।
जल मार्ग विकास परियोजना - आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 03.01.2018 को जल मार्ग विकास परियोजना के कार्यान्वयन की मंजूरी दी थी। विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से लगाई गई इस परियोजना की लागत 5369 करोड़ रुपए आकलित की गई है। इस परियोजना का उद्देश्य 2000 डेड वेट टनभार तक के जहाजों को चलाने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग- I की नौगम्यता में सुधार करना है।
क्रूज़ शिपिंग - चेन्नई बंदरगाह पर 12 अक्टूबर, 2018 को एक आधुनिक अंतरराष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का उद्घाटन किया गया। इसके अतिरिक्त, 20 अक्टूबर, 2018 से मुंबई-गोवा क्रूज सेवा भी शुरू की जा चुकी है।
Sचुनिंदा निर्यात बाजार विनियम
यूरोपीय संघ - नवाचार, बदलते व्यवसाय, अर्थशास्त्र और प्रौद्योगिकी सुरक्षा के चलते सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण, प्रभावी आंतरिक बाजार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिए आज यूरोपीय संघ की समुद्री और बंदरगाहों संबंधी नीति को अपनाने की आवश्यकता है। यूरोपीय संघ में सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और गुणवत्तापूर्ण शिपिंग के लिए संभवतः सबसे व्यापक और सफल विधायी ढांचा तैयार है, जो पूरी श्रृंखला को कवर करता है। अधिक जानकारी के लिए देखें https://ec.europa.eu/transport/modes/maritime/maritime-transport_en