स्वास्थ्य दुनिया के सामाजिक और आर्थिक विकास में सर्वोपरि महत्व का क्षेत्र है। यही वजह है कि दवा (फार्मासूटिकल्स) उद्योग को आर्थिक विकास की प्रक्रिया में एक प्रमुख उद्योग के रूप में देखा जाता है। भारतीय दवा उद्योग वैश्विक फार्मा सेक्टर में एक उल्लेखनीय स्थान हासिल कर चुका है और हाल के वर्षों में इसमें उल्लेखनीय विकास हुआ है। घरेलू मांग की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ दवा उद्योग संविदा पर विनिर्माण, अनुसंधान, क्लीनिकल ट्रायल, शोध एवं विकास और विकसित एवं विकासशील देशों के बाजारों को सीधे निर्यात में भी संलग्न है। वैश्विक रूप से, भारतीय दवा बाजार आकार के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा और कीमत के लिहाज से 13वां सबसे बड़ा बाजार है। 65% से अधिक डीपीटी (डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस) और बीसीजी (बेसिलस कैलमेट – गैरेन) एवं 90% मीज़ल्स वैक्सीन की मांग भारत द्वारा पूरी की जाती है।
2020 तक भारत का दवा उद्योग वृद्धि के मामले में शीर्ष तीन दवा बाजारों में शामिल होगा और आकार के मामले में दुनिया का छठा सबसे बड़ा बाजार होगा।
दवा उत्पादों के निर्यात में 2017-18 के दौरान 11.8 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर दर्ज की गई और यह 17.3 अरब यूएस डॉलर का रहा। 2013-14 से 2017-18 की अवधि के दौरान दवा उत्पादों के निर्यात में 3.5 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज की गई और इसका निर्यात मूल्य 6.7 अरब यूएस डॉलर से बढ़कर लगभग 12.9 अरब यूएस डॉलर हो गया। 2016-17 के दौरान दवा उत्पादों का निर्यात 2015-16 की तुलना में 12.9 अरब डॉलर के साथ स्थिर रहा, जबकि 2017- 2018 में, निर्यात 2.5 गुना बढ़कर 13.2 मिलियन यूएस डॉलर हो गया।
साल | निर्यात मूल्य (मिलियन यूएस $) | वृद्धि दर (%) |
---|---|---|
2013-14 | 11.1 | 10.7 |
2014-15 | 11.6 | 4 |
2015-16 | 12.9 | 11.4 |
2016-17 | 12.9 | 0.2 |
2017-18 | 13.2 | 2.5 |
2018-19 (अक्टूबर 2018 तक) | 8.3 | 12.7 (वर्ष-दर-वर्ष) |
स्रोतः डीजीसीआईएस |
देश | निर्यात मूल्य (मिलियन यूएस $) | शेयर (%) |
---|---|---|
अमेरिका | 4584.169 | 35.5 |
दक्षिण अफ्रीका | 494.733 | 3.8 |
यूनाइटेड किंगडम | 419.873 | 3.3 |
रूस | 405.793 | 3.1 |
नाइजीरिया | 377.190 | 2.9 |
तंजानिया | 231.407 | 1.8 |
ऑस्ट्रेलिया | 216.569 | 1.7 |
ब्राजील | 212.300 | 1.6 |
केन्या | 206.927 | 1.6 |
श्रीलंका | 195.444 | 1.5 |
कुल | 12895.464 | 100 |
स्रोत: डीजीसीआईएस |
एफडीआई नीति
अन्य शर्तें:
बीते कुछ समय से भारतीय दवा क्षेत्र में अमेरिकी बाजारों से राजस्व में गिरावट आई है, जो इस क्षेत्र का नवीनतम विदेशी बाजार है। इसके चलते इस क्षेत्र को दबाव और अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, विनियामकीय जटलिताएं और जेनरिक दवाओं का बाजार इस क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बन गया है। इन सब चिंताओं के बावजूद, बढ़ते उपभोक्ता खरीद वर्ग, तेजी से होते शहरीकरण और स्वास्थ्य बीमा में वृद्धि के चलते भारतीय दवा उद्योग के आने वाले समय में इस स्थिति से उबर आने की पूरी संभावना है। बायोटेक उद्योग में तेज वृद्धि और बड़ी कंपनियों द्वारा अनुसंधान और विकास पर अपना खर्च बढ़ाने से उस उद्योग की उम्मीदें बंधी हैं। फार्मा उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने लागत कम करने और स्वास्थ्य सेवा खर्च कम करने संबंधी कई उपाय किए हैं। बाजार में जेनरिक दवाओं को तेजी से लाने पर ध्यान केंद्रित रहा है और इससे भारतीय फार्मा कंपनियों को फायदा मिलने की संभावना है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से भी इस उद्योग को बल मिलने की संभावना है, क्योंकि इससे दो डीलरों के बीच दो राज्यों में किया जाने वाला आदान-प्रदान टैक्स-न्यूट्रल हो जाएगा। इससे एक से अधिक राज्यों पर निर्भरता कम होगी और क्षेत्रीय केंद्रों पर फोकस बढ़ाने में मदद मिलेगी।
यह केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसमें कुल 480 करोड़ रुपए का वित्तीय परिव्यय रखा गया है।
क्षेत्र आधारित प्रोत्साहन
क्लस्टर में इकाइयां:
सामान्य सुविधाओं के विकास के लिए एक योजना जैसे कि एफ्लुएंट ट्रीटमेंट, परीक्षण केंद्र आदि।
राज्य प्रोत्साहन:
उपरोक्त के अलावा, भारत में प्रत्येक राज्य औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करता है।
ये प्रोत्साहन भूमि की लागत, भूमि की बिक्री / पट्टे पर स्टांप शुल्क में छूट, बिजली शुल्क प्रोत्साहन, ऋण पर ब्याज की रियायती दर, निवेश सब्सिडी / कर प्रोत्साहन, पिछड़े क्षेत्रों की सब्सिडी, मेगा परियोजनाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज आदि के रूप में दिए जाते हैं।
आर एंड डी लाभ
उद्योग / निजी प्रायोजित अनुसंधान कार्यक्रम :
विनिर्माण में संलग्न कंपनियां जिनके अपने आर एंड डी केंद्र हैं: