सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और बिजनेस प्रोसेस प्रबंधन (बीपीएम) क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वृद्धि के सबसे महत्त्वेपूर्ण कारकों में से एक बन गया है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 9.3% का योगदान देता है। यह उद्योग दुनिया भर में अपनी लागत प्रतिस्पर्धात्मकता और उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं के लिए जाना जाता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के बारे में आम राय को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत वैश्विक प्रौद्योगिकी सोर्सिंग व्यवसाय के एक बड़े हिस्से को कैप्चर करने में सफल रहा है। वैश्विक बाजार में भारतीय आईटी उद्योग (हार्डवेयर सहित) की हिस्सेदारी 7% है और यह निर्यात उन्मुख उद्योग भी है।
विश्व में लगभग 60% फर्में अपने सॉफ्टवेयर उत्पादों को वैश्विक स्तर पर लॉन्च करने से पहले भारत को परीक्षण सेवाओं के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करती हैं। देश में 15,000 से ज्यादा फर्में यह व्यवसाय कर रही हैं। लगभग 3.7 मिलियन नौकरियां देने वाला यह क्षेत्र रोजगार देने वाले सबसे बड़े निजी क्षेत्रों में से एक है।
भारत में प्रौद्योगिकी आधारित नवोद्यम (स्टार्टअप) भी आईटी और बीपीएम उत्पादों की वृद्धि के प्रमुख कारक हैं। देश में वर्तमान में 4,700 से अधिक स्टार्टअप हैं। वित्तीय वर्ष 2018 में आईटी और बीपीएम क्षेत्र का बाजार 118 अरब यूएस डॉलर का था। वित्तीय वर्ष 2018 में देश में आईटी क्षेत्र के कुल राजस्व में से, 71% का योगदान आईटी और बीपीएम क्षेत्र का ही रहा। इस बाजार खंड में वित्तीय वर्ष 2014 से वित्तीय वर्ष 2018 तक 8.84% की यौगिक वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई।
भारत की स्टार्टअप क्रांति से इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों को फायदा होगा। बीपीएम खंड में क्लाउड, मोबिलिटी और एडवांस्ड एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों से अच्छी वार्षिक वृद्धि होने की संभावना है।नए ग्राहकों को आकर्षित करने वाले सोशल, मोबाइल, एनालिटिक्स, और क्लाउड (एसएमएसी) बाजार के वर्ष 2020 तक 225 अरब यूएस डॉलर का होने का अनुमान है।
वित्तीय वर्ष 2018 में आईटी-बीपीएम क्षेत्र (हार्डवेयर सहित) द्वारा कुल 126 बिलियन यूएस डॉलर का निर्यात किया गया था। इसके निर्यातों में वित्तीय वर्ष 09 से वित्तीय वर्ष 18 की अवधि के दौरान 12.26% की सीएजीआर दर्ज की गई। वित्तीय वर्ष 18 के दौरान कुल आईटी निर्यातों में 57% हिस्सेदारी के साथ आईटी सेवा निर्यातों का प्रमुख योगदान रहा। वर्ष के दौरान कुल आईटी निर्यातों में बीपीएम का हिस्सा 21.20% रहा।
वित्तीय वर्ष 18 के दौरान कुल भारतीय आईटी-बीपीएम निर्यातों का सिर्फ 21% गैर यूएस-यूके देशों को निर्यात किया गया। कुल सेवा निर्यातों में इस क्षेत्र का सबसे बड़ा हिस्सा (38%) है। 2009-2017 के दौरान ई-कॉमर्स उद्योग में ही लगभग 40% की सीएजीआर दर्ज की गई। देश में इस क्षेत्र में फ्रांस, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के दिग्गज वैश्विक उद्योगों की ईकाइयां परिचालन में हैं।
निम्नलिखित क्षेत्रों में ऑटोमैटिक रूट के तहत 100% तक एफडीआई की अनुमति है डेटा प्रोसेसिंग, सॉफ्टवेयर विकास और कंप्यूटर परामर्शी सेवाएं, सॉफ्टवेयर आपूर्ति सेवाएं, व्यवसाय एवं प्रबंधन परामर्शी सेवाएं, मार्केट रिसर्च सेवाएं, तकनीकी परीक्षण और विश्लेषण सेवाएं।
व्यवसायी–व्यवसायी (बी2बी) ई-कॉमर्स में 100% एफडीआई की अनुमति है, हालांकि व्यवसायी–ग्राहक (बी2सी) ई-कॉमर्स में एफडीआई की अनुमति नहीं है। ई-कॉमर्स में एफडीआई पर इन नए दिशानिर्देशों के अनुसार, ई-कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल में ऑटोमैटिक रूट के तहत 100% एफडीआई की अनुमति है, जबकि ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री आधारित मॉडल में एफडीआई की अनुमति नहीं है।
अप्रैल 2000 से दिसंबर 2018 की अवधि के दौरान कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर खंड में 35.8 बिलियन यूएस डॉलर का एफडीआई आवक दर्ज किया गया। दिसंबर 2018 तक कुल एफडीआई आवक में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का 8.75% हिस्सा रहा।
‘डिजिटल इंडिया’ अभियान से भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है और इसकी प्रबल संभावनाएं दिखाई देती हैं। डिजिटल इंडिया पहल के तहत राष्ट्रव्यापी ब्रॉडबैंड हाईवे, सभी तक मोबाइल की पहुँच और अधिकतम जनता तक इंटरनेट की पहुंच जैसी बड़ी आईटी परियोजनाएं प्रक्रिया में हैं। नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का लक्ष्य देश की सभी 2,50,000 ग्राम पंचायतों को हाई स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ना है।
इस कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शहरी नियोजन और वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित किया गया है और इससे आईटी क्षेत्र में कई अवसर बन रहे हैं। भारत के आईटी-बीपीएम उद्योग का वैश्विक आउटसोर्सिंग बाजार में 56% हिस्सा है।
देश में कुशल श्रमशक्ति की उपलब्धता के चलते, भारत में बड़ी संख्या में आईटी प्रोफेशनल हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 2025 तक इस क्षेत्र से राजस्व लगभग 350 बिलियन यूएस डॉलर के आंकड़े को छू लेगा। वैश्विक प्रौद्योगिकी खर्च में स्थिर वृद्धि के बावजूद भारत के आईटी और बीपीएम क्षेत्र ने दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बीपीएम गंतव्य भी है।
सूचना प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय नीति 2012 का उद्देश्य 2020 तक आईटी और बीपीएम उद्योग का राजस्व 300 बिलियन यूएस डॉलर तक बढ़ाना है। यह नीति सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की पूरी शक्ति को पूरे देश की पहुंच में लाने और देश के मानव संसाधनों की क्षमता को बढ़ाने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयास है, ताकि भारत वर्ष 2020 तक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सके और आईटी एवं बीपीएम सेवाओं के लिए पसंदीदा स्थल बन सके।
सरकार द्वारा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पार्क योजना जैसी प्रमुख नीतियां शुरू की गई हैं। ये नीतियां वैश्विक साइबर केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने और अर्थव्यवस्था के तीव्र एवं समावेशी विकास तथा कुछ रियायतें एवं छूट प्रदान करने के लिए साइबरस्पेस में सूचना और सूचना बुनियादी ढांचे की सुरक्षा करने में मदद करती हैं, गवर्नैंस सिस्टम में अधिक पारदर्शिता लाती हैं।
पूर्वोत्तर बीपीओ संवर्धन योजना (एनईबीपीएस) - डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत परिकल्पित यह योजना 31.03.2019 तक 50 करोड़ रुपये के बजट के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में बीपीओ / आईटीईएस संचालन के संबंध में 5,000 सीटों की स्थापना को प्रोत्साहित करती है।इस प्रकार बीपीओ / आईटीईएस संचालन क्षेत्र में पर लगभग 15,000 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करती है।
अधिक जानकारी के लिए क्लिक कीजिए: https://meity.gov.in/nebps
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत अनुमोदित भारत बीपीओ संवर्धन योजना आईटी और आईटी आधारित सेवाओं के विकास तथा रोजगार सृजन के लिए बीपीओ / आईटी आधारित सेवाओं के परिचालनों को देश भर में [कुछ शहरों और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़करमें प्रोत्साहित करती है। इस योजना का लक्ष्य राज्य की आबादी के अनुपात में प्रत्येक राज्य के बीच वितरित 48,300 सीटों की स्थापना को प्रोत्साहित करना है। साथ ही 31 मार्च, 2019 तक 493 करोड़ रुपये के बजट के साथ वाएबैलिटी गैप फंडिंग के रूप में 1 लाख रुपये / सीट वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी लक्ष्य है।
यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) साइट पर “व्यवसाय समुदाय के हर सदस्य को ये बातें जाननी चाहिए (व्हट एवरी मेंबर ऑफ द ट्रेड कम्युनिटी शुड नो)” के अंतर्गत कई जानकारियां [इंफॉर्म्ड कंप्लायंस पब्लिकेशन (आईसीपी)] दी गई हैं। नीचे दिया गया लिंक सॉफ्टवेयर और अन्य के संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रवर्तन के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
https://www.cbp.gov/sites/default/files/assets/documents/2017-Feb/enforce_ipr_3_0.pdf
यूरोपीय संघ के देशों से आयात के स्थान पर गैर-यूरोपीय संघ के देशों से के संबंध में यूके सरकार के अलग से कुछ नियम हैं। नीचे दिया गया लिंक दोनों से आयात के संबंध में जानकारी देता है।
https://www.gov.uk/starting-to-import
इसके अलावा, जब यूके के व्यवसाय यूके से बाहर से सेवाएं खरीदते हैं, तो 'रिवर्स चार्ज' नामक एक नियम लागू होता है। नीचे दिए लिंक से इस प्रभार की गणना की जा सकती हैः