2018 तक भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर उद्योग के 112-130 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने के आसार हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर विनिर्माता भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां बढ़ाना चाहते हैं, ताकि घरेलू बाजार की मांग पूरी करने के साथ-साथ मध्य पूर्व, अफ्रीका और सार्क देशों के बाजारों की मांग भी पूरी की जा सके#।
इंडियन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) बाजार के 2015 के 94 बिलियन यूएस डॉलर से बढ़कर 2020 में 400 बिलियन यूएस डॉलर होने का अनुमान है##। इस बीच, सेमिकंडक्टरों की खपत भी 26.72 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ते हुए 2013 के 10.02 बिलियन यूएस डॉलर से 2020 में 52.58 बिलियन यूएस डॉलर तक होने का अनुमान है$$।
बढ़ते उपभोक्ता आधार और उपभोक्ता वस्तुओं की बढ़ती मांग के चलते भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं। केबल के डिजिटलीकरण से देश में ब्रॉडबैंड की मांग भी बढ़ेगी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में संलग्न कंपनियों के लिए नए अवसर बनेंगे।
[# - एसोचैम और अर्नेस्ट एंड यंग द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक। ##- इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईएसए) द्वारा की गई ‘इंडियन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) डिसएबिलिटी आइडेंटिफिकेशन स्टडी।’ $$- नोवोनोअस ‘सेमीकंडक्टर मार्केट इन इंडिया 2014-2020’ की एक रिपोर्ट के अनुसार।]
तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था, युवा पढ़ी की महत्वाकांक्षाओं और भारत में बड़े मध्यवर्ग की बढ़ती आय के चलते इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर की घरेलू मांग बढ़ रही है। इसलिए देश में इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर उत्पादन के कारोबार में उतरने का यह अच्छा अवसर है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विकसित करने और उनका निविनिर्माण करने तथा आने वाले समय में सूचना, संचार और मनोरंजन के बदलते क्षेत्रों में देश की जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर उत्पादन में अपनी वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाने की भी अपार संभावनाएं हैं।
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर माल का उत्पादन 2020 तक 104 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र का कारोबार इसके मुख्य घटकों के साथ-साथ विभिन्न धाराओं में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में उत्पादन का वर्तमान में उपलब्ध डाटा विभिन्न उद्योग महासंघों द्वारा दी गई सूचनाओं तक ही सीमित है।
मद | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 * | 2015-16* |
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उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स | 40447 | 47599 | 55806 | - |
औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स | 25800 | 33600 | 39374 | 45083 |
ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स | 5629 | 7278 | NA | - |
कंप्यूटर हार्डवेयर | 9376 | 17484 | 18691 | - |
मोबाइल फोन | 34600 | 26650 | 18900 | 54000 |
स्ट्रेटजिक इलेक्ट्रॉनिक्स | 9000 | 13800 | 15700 | - |
इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे | 26645 | 32102 | 39723 | - |
एलईडी | 1275 | 1941 | 2172 | 3590 |
*- अनुमान संबंधित उद्योग महासंघों द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार।स्रोतः इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार |
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक माल क्षेत्र बीते कुछ वर्षों से मंद पड़ा है। पिछले साल धीमी विकास दर के बावजूद, 2011-12 और 2015-16 के दौरान निर्यात अच्छा रहा और इसमें समग्र रूप से 42.5 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज की गई। हालांकि आयात इससे लगभग दोगुनी 87.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा।
अप्रैल 2016 से जून 2016 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स के भारत के निर्यात में पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 6.4 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की गई और 1.4 बिलियन यूएस डॉलर का निर्यात हुआ, जिसका देश के कुल निर्यात में 2.2 प्रतिशत हिस्सा रहा। इसी अवधि के दौरान आयात 8.8 बिलियन यूएस डॉलर का रहा, जिसमें 4.2 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष निगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई। देश के कुल आयात में इलेक्ट्रॉनिक्स आयात का 10.5 प्रतिशत हिस्सा रहा।
2015-16 के दौरान भारतीय इलेक्ट्रॉनिक माल प्रमुख रूप से अमेरिका (14.5 प्रतिशत हिस्सा), संयुक्त अरब अमीरात (9.3 प्रतिशत), जर्मनी (4.9 प्रतिशत), चीन (3.6 प्रतिशत) और फ्रांस (3.3 प्रतिशत) को निर्यात किया गया। वहीं, भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स माल का सबसे ज्यादा 54.9 प्रतिशत चीन से आयात किया गया। आयात के अन्य प्रमुख स्रोत देश दक्षिण कोरिया (7.8 प्रतिशत), अमेरिका (7 प्रतिशत), जर्मनी (3.5 प्रतिशत), मलेशिया (3.3 प्रतिशत) और सिंगापुर (3.2 प्रतिशत) रहे।
सरकार ने इस क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे दी है। ऑटोमैटिक रूट के अंतर्गत औद्योगिक लाइसेंस, तकनीकी जानकारी फीस और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए रॉयल्टी की जरूरत नहीं है। अप्रैल 2000 से सितंबर 2015 के दौरान भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में करीब 1,636.0 मिलियन यूएस डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जो देश में हुए कुल एफडीआई का 0.6 प्रतिशत रहा।
यूरोपीय संघ (ईयू) में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक माल बेचने वाली कंपनियों को इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट (ईईई) के लिए ईयू कानून का पालन करना अनिवार्य है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
चीन आरओएचएस: "इलेक्ट्रॉनिक जानकारी उत्पादों के प्रदूषण नियंत्रण के लिए उपाय, जिन्हें सामान्यतः आरओएचएस के रूप में जाना जाता है", इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में खतरनाक पदार्थों के उपयोग को रोकने के लिए हैं। 1 मार्च, 2007 को या इसके बाद से चीन में बिक्री के लिए निर्मित सभी उत्पादों को चरण 1 की अपेक्षाओं का पालन करना जरूरी है।
दोबारा निर्यात या अन्य निर्यात उत्पादों के विनिर्माण के लिए देश में आयातित उत्पाद इसमें शामिल नहीं हैं। निम्न अपेक्षाओं को पूरा करना आवश्यक है:
चीन में उत्पादों को निर्यात करने या वहां बिक्री से पहले निर्माताओं को अपने उत्पादों के लिए चीन अनिवार्य प्रमाणीकरण (सीसीसी) मार्क हासिल करना आवश्यक है। कई इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिए सीसीसी मार्क जरूरी है।
दक्षिण कोरिया ने इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों और वाहनों की रिसोर्स रिसाइकलिंग के लिए 2 अप्रैल, 2007 से इस कानून को लागू किया है। इसमें आरओएचएस और डब्ल्यूईईई के पहलू समाहित हैं।
विभिन्न देशों में लागू विभिन्न विनियामकों पर अधिक जानकारी के लिए कृपया यह लिंक देखें: http://www.standardsmap.org/identify
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर लघु फिल्म
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम द्वारा निर्मित