इलेक्ट्रिकल मशीनरी

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अवलोकन

बॉयलर, टर्बाइन और जेनरेटर, ट्रांसमिशन मशीनरी और वितरण मशीनरी जैसी जेनरेशन मशीनरी में निवेश के अवसर विद्यमान हैं। भारत को इलेक्ट्रिकल उपकरणों के उत्पादन के लिए पसंदीदा स्थल बनाने और निर्यातों तथा आयातों को संतुलित करते हुए इसका उत्पादन 100 अरब यूएस डॉलर तक पहुंचाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इनमें प्रौद्योगिकी और शोध एवं विकास, विभिन्न उपकरणों पर सीमा शुल्क कम करना, विद्युत उपकरण कौशल विकास परिषद (ईईएसडीसी) की स्थापना, विद्युत उपकरण उद्योग क्लस्टरों की स्थापना; देश में उत्पाद परीक्षण बुनियादी ढांचे को बढ़ाना; निर्यात बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाना और वित्तीय सहयोग जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जिन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। भारतीय विनिर्माता अपने उत्पाद डिजाइन, विनिर्माण और परीक्षण सुविधाओं के संबंध में अधिक प्रतिस्पर्धी बन रहे हैं।

भारतीय विद्युत उपकरण उद्योग मिशन योजना (2012-22) का लक्ष्य है कि 2022 तक भारत इलेक्ट्रिकल उपकरणों के उत्पादन के मामले में 100 अरब यूएस डॉलर के आंकड़े को पार कर जाए और इस क्षेत्र के मौजूदा व्यापार घाटे को संतुलित किया जा सके। 2022 तक विद्युत उत्पादन उपकरण और ट्रांसमिशन एवं वितरण क्षेत्र की घरेलू मांग क्रमशः 25-30 अरब यूएस डॉलर और 70-75 अरब यूएस डॉलर होने की उम्मीद है। ‘सभी को बिजली’ जैसे बाजार-उन्मुख सुधारों का लक्ष्य 2017-2022 के दौरान अतिरिक्त 93 गीगावाट बिजली उत्पादन करना है, इससे बिजली ट्रांसमिशन और वितरण उपकरणों की भारी मांग होगी। बिजली उत्पादन में क्षमता वृद्धि से विद्युत मशीनरी की मांग में भी वृद्धि होगी।

इलेक्ट्रिकल उपकरण उद्योग में व्यापक रूप से दो खंड शामिल हैं: बिजली उत्पादन उपकरण (बॉयलर, टर्बाइन, जेनरेटर) और ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन (टी एंड डी) तथा ट्रांसफार्मर, केबल, ट्रांसमिशन लाइन, स्विचगियर, कैपेसिटर, ऊर्जा मीटर, उपकरण ट्रांसफॉर्मर जैसे संबद्ध उपकरण आदि। इलेक्ट्रिकल उपकरण उद्योग में टी एंड डी उपकरण क्षेत्र का 85% हिस्सा है, जबकि बिजली उत्पादन उपकरण का 15% ही है। 2016-17 में, भारतीय इलेक्ट्रिकल उपकरण उद्योग 25 अरब यूएस डॉलर से अधिक का हो गया था। मूल्य के संदर्भ में, विनिर्माण क्षेत्र में इस क्षेत्र का योगदान लगभग 8% है और सकल घरेलू उत्पाद में यह योगदान 1.5% है। अप्रैल-दिसंबर 2016-17 की अवधि के लिए, इलेक्ट्रिकल और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में 4% की वृद्धि दर दर्ज की गई। इस क्षेत्र में भी, पावर जनरेशन सिस्टम और केबल हैं उच्च उत्पादन वृद्धि वाले उप क्षेत्र रहे, जिनका बाजार मूल्य क्रमशः 6.92 अरब यूएस डॉलर और 6.34 अरब यूएस डॉलर रहा। 2022 तक इसका अनुमानित बाजार मूल्य 100 अरब यूएस डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

भारी उद्योग उप-क्षेत्र 0.5 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष और 1 मिलियन लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार देता है और पूरी मूल्य श्रृंखला में 5 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। इसके अतिरिक्त, भारत के पास अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप है। अधिक से अधिक लोगों तक बिजली पहुंचाना प्राथमिकता रहा है और इसके लिए विभिन्न पहलें कर भारत 2014 में लोगों तक बिजली पहुंचाने के मामले में 26 पायदान ऊपर आकर 99 वें स्थान पर रहा है। इसके अलावा, ट्रांसमिशन लाइनों में मार्च 2014 के 2,91,336 सर्किट किलोमीटर की तुलना में मार्च 2017 में 26% की वृद्धि दर्ज की गई और ये बढ़कर 3,66,634 सर्किट किलोमीटर हो गईं।

इलेक्ट्रिकल मशीनरी उद्योग में शोध एवं विकास (आर एंड डी) में निवेश भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र में सबसे अधिक है। बुनियादी ढांचे, बिजली, खनन, तेल और गैस, रिफाइनरी, स्टील, मोटर वाहन और उपभोक्ता वस्तु जैसे क्षेत्रों में क्षमता निर्माण से इंजीनियरिंग क्षेत्र में मांग बढ़ रही है। बुनियादी ढांचे निवेश और औद्योगिक उत्पादन में तेजी से यह वृद्धि और बढ़ेगी। एक मजबूत सप्लाई चेन के साथ, यह विशाखित, परिपक्व और मजबूत विनिर्माण आधार वाला क्षेत्र है।

 

2016-17 में, भारतीय इलेक्ट्रिकल उपकरण उद्योग का आकार 25 अरब यूएस डॉलर से अधिक हो गया। वित्तीय वर्ष 2017 में 5,743 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों को चालू किया गया, जो 23,384 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें चालू करने के वार्षिक लक्ष्य का 24.6% है। वित्तीय वर्ष 2017 में ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता में 16,635 एमवीए वृद्धि आकलित की गई, जो 2016-17 के लिए 45,188 एमवीए के निर्धारित लक्ष्य का 36.8% है। वित्तीय वर्ष 2015-22 के दौरान बिजली उत्पादन उपकरण बाजार के 24.6% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।

बॉयलर और पुर्जे तथा इलेक्ट्रिकल तार और केबल भारत से इलेक्ट्रिकल सामान के निर्यात में वृद्धि के प्रमुख कारक रहे। बेहतर क्षमता और उन्नत प्रौद्योगिकी वाले भारतीय विनिर्माताओं ने ट्रांसफार्मर और केबल्स सहित विभिन्न उपकरणों का निर्यात किया। वित्तीय वर्ष 2016-17 में लगभग 6 अरब यूएस डॉलर का निर्यात किया गया।

संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम इस क्षेत्र के उत्पादों के प्रमुख आयातक हैं। भारत स्विचगियर और कंट्रोल गियर, ट्रांसफॉर्मर और पुर्जे, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, केबल, ट्रांसमिशन लाइन टावर, कंडक्टर, रोटेटिंग मशीन (मोटर, एसी जेनरेटर, और जेनरेटिंग सेट) और पुर्जों का प्रमुख निर्यातक है।

सरकार ने इलेक्ट्रिकल मशीन क्षेत्र में लाइसेंस की आवश्यकता को खत्म कर ऑटोमैटिक रूट के अंतर्गत इसे 100% एफडीआई के लिए खोल दिया है, जो सभी लागू नियमों और कानूनों के अध्यधीन होगा।


 

चुनिंदा सरकारी प्रोत्साहन

सरकार विद्युत उपकरण कौशल विकास परिषद (ईईएसडीसी) की स्थापना करने की योजना बना रही है, जो विद्युत मशीनरी उद्योग के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण विनिर्माण कौशल को चिह्नित का काम करेगी। कुछ अन्य प्रोत्साहन निम्नलिखित हैं –

  • इलेक्ट्रिकल मशीनरी उद्योग से लाइसेंस की जरूरत को खत्म कर दिया गया है। इससे भारत के इलेक्ट्रिकल मशीनरी उद्योग में विश्व की बड़ी कंपनियों का प्रवेश सुगम हुआ है।
  • वैज्ञानिक शोध एवं विकास पर किए गए पूंजी और राजस्व व्यय दोनों के लिए आयकर अधिनियम की धारा 35 (2 एबी) के तहत 200% की भारित कर कटौती। (भूमि और भवनों पर व्यय, कटौती के लिए पात्र नहीं हैं)।
  • उपरोक्त के अलावा, भारत में प्रत्येक राज्य औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करता है। इनमें रियायती दरों पर जमीन की उपलब्धता, स्टाम्प ड्यूटी में छूट, भूमि / बिक्री के पट्टे पर छूट, बिजली टैरिफ इन्सेंटिव, ऋण पर रियायती ब्याज दर, निवेश सब्सिडी / कर प्रोत्साहन, पिछड़े क्षेत्रों में सब्सिडी, बड़ी परियोजनाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन जैसे प्रोत्साहन शामिल हैं।
  • सरकार ने निर्यात संवर्धन और वृद्धि के लिए निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तु योजना, ड्यूटी रेमिशन योजना, फोकस उत्पाद योजना, विशेष फोकस उत्पाद योजना और फोकस बाजार योजना भी शुरू की है।
  • सरकार ने निर्यातों को बढ़ाने के उद्देश्य से कौशल विकास के लिए ईईएसडीसी (विद्युत उपकरण कौशल विकास परिषद) की स्थापना करने जैसे कदम उठाए हैं, जिससे विनिर्माण के लिए आवश्यक कौशल की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • सरकार ने इंजीनियरिंग क्षेत्र के लिए 15 विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) को मंजूरी दी है और इलेक्ट्रिकल मशीनरी इस क्षेत्र का हिस्सा है। इसके अलावा, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक क्षेत्र के विकास से भी इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल उपकरण क्षेत्र बढ़ावा मिलेगा।

 

चुनिंदा निर्यात बाजार विनियम

यूके सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सामान और प्रौद्योगिकी का आयात-निर्यात करने वाले व्यापारियों के लिए कुछ विनियम निर्धारित किए हैं। इसमें आयातकों और निर्यातकों के लिए व्यापार के अवसरों के साथ-साथ पर्यावरण और सुरक्षा अपेक्षाओं संबंधी अपेक्षित लाइसेंसों की जानकारी भी दी गई है।

अधिक जानकारी के लिए यह लिंक देखिएः https://www.gov.uk/guidance/importing-and-exporting-electronic-goods

यूरोपीय संघ के बाजारों में कोई उत्पाद उतारने के लिए यूरोपीय संघ ने कुछ आवश्यक अपेक्षाएं लागू की हैं, जिन्हें पूरा करना जरूरी है। ये तकनीकी अपेक्षाएं अलग-अलग उत्पादों के लिए अलग-अलग हैं।

अधिक जानकारी के लिए यह लिंक देखिएः http://trade.ec.europa.eu/tradehelp/machinery-and-technical-products