भारत एशिया में रसायनों का (मात्रा के हिसाब से) तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। यह कृषि-रसायनों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है और दुनिया में रसायनों का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है। रासायनिक उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वैश्विक रासायनिक उद्योग में लगभग 3.4% (मात्रा के हिसाब से) अंशदान करता है। यह औद्योगिक क्षेत्रों के सबसे अधिक विशाखित क्षेत्रों में से एक है जिसमें 70,000 से भी अधिक वाणिज्यिक उत्पाद आते हैं। यह क्षेत्र देश के औद्योगिक और कृषि विकास का मुख्य आधार है और रासायनिक और अन्य संबंधित उत्पादों, पेट्रोकेमिकल, उर्वरक, पेंट, वार्निश, गैस, साबुन, इत्र, शौचालय और फार्मास्यूटिकल्स जैसे कई डाउनस्ट्रीम उद्योगों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक प्रदान करता है।
भारतीय रसायनों का निर्यात 2017-18 में 22 अरब यूएस डॉलर दर्ज किया गया, जबकि 2013-14 में यह सिर्फ 17.6 अरब यूएस डॉलर का था। इस प्रकार इस अवधि के दौरान रसायनों के निर्यात में 5.9% की एएजीआर दर्ज गई। वित्तीय वर्ष 2019 की पहली छमाही के दौरान, रसायनों के निर्यात ने पहले ही 15 अरब यूएस डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है।
वर्ष | अकार्बनिक रसायन | जैविक रसायन | टैनिंग और डाई अर्क | कीटनाशक और कवकनाशी | समग्र रासायनिक निर्यात |
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एचएसः28 | एचएसः29 | एचएसः32 | एचएस कोड 3808 | ||
2011-12 | 1793.9 | 11693.5 | 1947.9 | 1427.9 | 16863.2 |
2012-13 | 1318.7 | 12105.6 | 2089.8 | 1740.1 | 17254.1 |
2013-14 | 1364.2 | 12017.6 | 2547.6 | 1922.3 | 17851.6 |
2014-15 | 1429.9 | 11948.9 | 2818.6 | 1949.9 | 18147.3 |
2015-16 | 1207.3 | 11509.3 | 2471.3 | 1963.0 | 17151.0 |
2016-17 | 1363.5 | 11688.6 | 2564.0 | 2136.7 | 17752.8 |
2017-18 | 1733.6 | 14796.8 | 2940.0 | 2555.7 | 22026.1 |
(अप्रैल-सितंबर 2018) | 1183.8 | 10397.8 | 1909.1 | 1655.5 | 15146.2 |
स्रोत: DGCIS |
देश | निर्यात मूल्य (मिलियन यूएस डॉलर) | शेयर (%) |
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संयुक्त अरब अमीरात | 291.7 | 18 |
चीन | 130.6 | 8.1 |
अमेरीका | 100.5 | 6.2 |
मिस्र | 70.6 | 4.4 |
ईरान | 68.9 | 4.3 |
मलेशिया | 59.9 | 3.7 |
कोरिया | 48.0 | 3 |
वियतनाम | 46.8 | 2.9 |
इंडोनेशिया | 44.1 | 2.7 |
बांग्लादेश | 42.5 | 2.6 |
कुल | 1618.4 | 100.0 |
स्रोत: डीजीसीआईएस |
देश | निर्यात मूल्य (मिलियन यूएस डॉलर) | शेयर (%) |
---|---|---|
चीन | 1695.7 | 12.5 |
अमेरिका | 1547.0 | 11.4 |
जर्मनी | 554.2 | 4.1 |
सऊदी अरब | 523.0 | 3.9 |
नीदरलैंड | 419.4 | 3.1 |
जापान | 410.4 | 3 |
स्पेन | 392.5 | 2.9 |
ब्राजील | 387.9 | 2.9 |
कोरिया | 376.3 | 2.8 |
बेल्जियम | 371.2 | 2.7 |
कुल | 13564.7 | 100.0 |
स्रोत: डीजीसीआईएस |
देश | निर्यात मूल्य (मिलियन यूएस डॉलर) | शेयर (%) |
---|---|---|
अमेरिका | 219.3 | 7.9 |
बांग्लादेश | 190.2 | 6.8 |
जर्मनी | 181.0 | 6.5 |
तुर्की | 171.6 | 6.2 |
चीन | 156.3 | 5.6 |
ब्राज़ील | 113.6 | 4.1 |
इटली | 107.7 | 3.9 |
इंडोनेशिया | 97.9 | 3.5 |
नीदरलैंड | 94.6 | 3.4 |
थाईलैंड | 82.0 | 2.9 |
कुल | 2786.4 | 100.0 |
स्रोत: डीजीसीआईएस |
देश | निर्यात मूल्य (यूएस $ mn) | शेयर (%) |
---|---|---|
अमेरिका | 458.0 | 18.8 |
ब्राजील | 374.3 | 15.4 |
जापान | 127.0 | 5.2 |
फ्रांस | 102.3 | 4.2 |
वियतनाम | 77.7 | 3.2 |
बेल्जियम | 73.5 | 3.0 |
बांग्लादेश | 67.6 | 2.8 |
चीन | 66.9 | 2.7 |
नीदरलैंड | 66.8 | 2.7 |
कुल | 2436.3 | 100 |
स्रोत: DGCIS |
रसायन क्षेत्र में सभी लागू नियमों और कानूनों के अनुसार ऑटोमेटिक रूट के तहत शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है। रसायन क्षेत्र में अप्रैल 2000 से जून 2018 की अवधि के दौरान देश में एफडीआई इनफ्लो लगभग 15.3 अरब यूएस डॉलर का रहा जो कुल एफडीआई का 4.37 प्रतिशत है।
सरकार द्वारा की गई कुछ पहलें, जैसे- सीबीईसी का‘सिंगल विंडो इंटरफेस फॉर फैसिलिटेटिंग ट्रेड’ (स्विफ्ट), ‘मेक इन इंडिया’ और रसायन उद्योग के पर्यावरण संबंधी नियमों में दी गई छूट से रसायन उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि, इस उद्योग को कच्चे माल की उपलब्धता, बुनियादी ढांचे, संचालन स्तर, बिजली की सुनिश्चितता और व्यापार सुगमता जैसी कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों के चलते उद्योग के विकास पर विपरीत असर पड़ा है। इस उद्योग में व्याप्त संभावनाओं को आकार देने के लिए सरकार द्वारा कुछ कदम उठाए जाने की जरूरत है। वैकल्पिक कच्चे माल की उपलब्धता, शोध और विकास (आर एंड डी) में निवेश बढ़ाने जैसे कुछ उपायों के जरिए इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
इस क्षेत्र में, चुनौतियों के बावजूद कृषि रसायनों तथा विशिष्ट रसायन खंडों की बढ़ती मांग के चलते आने वाले समय में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। पेट्रो-रसायन खंड में अच्छी बढ़ोत्तरी भी इस उद्योग के विकास में सहायक होगी।