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विवरण

वर्ष 2017-18 के दौरान पूंजीगत वस्तु औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आधारः2011-12) में लगातार तीसरे वर्ष वृद्धि दर्ज की गई। पूंजीगत वस्तु सूचकांक में यह वृद्धि दर 3.98 प्रतिशत रही, जो सामान्य सूचकांक में 4.44 प्रतिशत वृद्धि से कम रही।

वर्ष 2017-18 के दौरान मशीनरी एवं उपकरण विनिर्माण सूचकांक एन ई सी (एन आई सी 28) तथा कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पाद विनिर्माण सूचकांक (एन आई सी 26) में क्रमशः 5.58 प्रतिशत और 17.15 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की गई। वहीं दूसरी ओर, इलेक्ट्रिकल उपकरण विनिर्माण सूचकांक में वर्ष के दौरान 12.45% की गिरावट दर्ज की गई।

इंजीनियरिंग सामान के उत्पादन में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई और वित्तीय वर्ष 2014-17 के दौरान 6.7 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज की गई। मशीन टूलों, अर्थ मूविंग और खनन मशीनरी, प्लास्टिक मशीनरी, मेटलर्जिकल मशीनरी और भारी विद्युत उपकरण में इसी अवधि के दौरान अच्छी सीएजीआर दर्ज की गई।

इंजीनियरिंग सामान का उत्पादन – रु. करोड़
उप-क्षेत्र 2013-14 2016-17 सीएजीआर (विवि 14-विवि 17)
मशीन टूल्स 3481 5803 18.6%
कपड़ा मशीनरी 6775 6650 -0.6%
अर्थ मूविंग और खनन मशीनरी 16000 84945 16.0%
भारी विद्युत उपकरण 128823 159221 7.3%
प्लास्टिक मशीनरी 2660 3690 11.5%
प्रसंस्करपण संयंत्र उपकरण 18000 19500 2.7%
डाई, मोल्ड और प्रेस उपकरण 13793 14750 2.3%
प्रिंटिंग मशीनरी 16069 16424 0.7%
मेटलर्जिकल मशीनरी 1200 1525 8.3%
खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी 11750 13000 3.4%
कुल 218551 265508 6.7%
स्रोतः भारी उद्योग विभाग

भारत वर्तमान में इंजीनियरंग वस्तुओं, विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी, टेक्सटाइल मशीनरी, मशीन टूलों और प्रिंटिंग मशीनरी के लिए आयातों पर निर्भर है। वहीं, स्वदेशी क्षमता विकास का निर्यात वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और इस क्षेत्र में व्यापार घाटा कम हुआ है। वित्तीय वर्ष 2014-2017 के दौरान इंजीनियरिंग सामान के आयात में 3.2 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज की गई, जबकि इसके निर्यात में 11.0 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज की गई।

इंजीनियरिंग सामान का आयात - रु. करोड़
उप-क्षेत्र 2013-14 2016-17 सीएजीआर (विवि 14- विवि 17)
मशीन टूल्स 4672 6173 9.7%
कपड़ा मशीनरी 7546 10098 10.2%
अर्थ मूविंग और खनन मशीनरी 12689 14520 4.6%
भारी विद्युत उपकरण 58354 55291 -1.8%
प्लास्टिक मशीनरी 1250 1863 14.2%
प्रसंस्करण संयंत्र उपकरण 9820 11925 6.7%
डाई, मोल्ड और प्रेस उपकरण 3081 1200 -27.0%
प्रिंटिंग मशीनरी 6042 7734 8.6%
मेटलर्जिकल मशीनरी 3817 2202 -16.8%
खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी 5200 12656 34.5%
कुल 112471 123662 3.2%
स्रोत: भारी उद्योग विभाग
इंजीनियरिंग सामान का निर्यात – रु. करोड़
उप-क्षेत्र 2013-14 2016-17 CAGR (विवि 14- विवि 17)
मशीन टूल्स 247 360 13.4%
कपड़ा मशीनरी 2604 2438 -2.2%
अर्थ मूविंग और खनन मशीनरी 6460 7849 6.7%
भारी विद्युत उपकरण 29227 39280 10.4%
प्लास्टिक मशीनरी 821 810 -0.4%
प्रसंस्करण संयंत्र उपकरण 7194 9291 8.9%
डाई, मोल्ड और प्रेस उपकरण 2694 1700 -14.2%
प्रिंटिंग मशीनरी 1421 1332 -2.1%
मेटलर्जिकल मशीनरी 1137 1358 6.1%
खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी 2050 9165 64.7%

कुल

53855 73583 11.0%
स्रोत: भारी उद्योग विभाग

उदारीकरण के समय से ही इस क्षेत्र में प्रत्‍यक्ष निवेश होने की वजह से पूँजीगत माल उद्योग की क्षमता में महत्‍वपूर्ण वृद्धि हुई है। अप्रैल से जून 2018 के दौरान पूँजीगत वस्तु उद्योग में संचयी प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश 17.68 अरब यू एस डॉलर का रहा। यह देश में कुल एफडीआई अंतर्वाह का करीब 4.5 प्रतिशत रहा।

मैन्‍युफैक्‍चरिंग, ऊर्जा एवं खनिज उद्योग द्वारा वर्तमान में पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में मांग को गति मिल रही है। इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर विकास के लिए सरकारी पहलों को ध्‍यान में रखते हुए इस मांग में इजाफा होने की उम्‍मीद है। इसके अलावा इस उद्योग को आगे बढ़ाने में ऊर्जा, तेल एवं गैस निष्‍कर्षण, खनिज एवं पेट्रोरसायनों में निवेश से उम्‍मीद है। मैन्‍युफैक्‍चरिंग उद्योग में औद्योगिक वृद्धि एवं विकास से भी पूँजीगत वस्तु उद्योग को बल मिलेगा।


 

सरकारी प्रोत्‍साहन

  • इंजीनियरिंग और पूंजीगत वस्तु उद्योग से लाइसेंस खत्म कर दिया गया और विदेशी प्रौद्योगिकी करार के साथ ऑटोमैटिक रूट के अंतर्गत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई।
  • सरकार ने पूँजीगत वस्तुओं पर सामान्य रूप में 5 प्रतिशत टैरिफ को हटा दिया है। साथ ही विभिन्न इंजीनियरिंग उपकरणों पर सीमा शुल्क भी घटा दिया है।
  • जो मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनियां संयंत्र और मशीनरी में 100 करोड़ रुपए से ज्‍यादा निवेश करती हैं उन्‍हें कर प्रोत्‍साहन के रूप में कर में 15 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाती है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में निवेश करने हेतु प्रोत्‍साहित किया जा रहा है।
  • पूँजीगत माल क्षेत्र को वैश्विक स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धी बनाने के लिए शोध एवं प्रौद्योगिकी विकास हेतु अकादमिक संस्‍थाओं में एडवांस्‍ड सेंटर्स ऑफ एक्‍सीलेंस की स्‍थापना की जा रही है।
  • सरकार ने इंजीनियरिंग क्षेत्र के लिए 7 राज्यों में विकसित किए जा रहे दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर सहित देशभर में कई विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) को मंजूरी दी है।
  • निर्यात क्षेत्र में भारत ने आसियान, जापान, कोरिया, मलेशिया, सिंगापुर तथा अन्‍य के साथ व्‍यापार करारों पर हस्‍ताक्षर किए हैं।

 

चुनिंदा निर्यात बाजार विनियम

यूरोपीय संघ में इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों को बेचने वाली कंपनियों को इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण (ई ई ई) विधान की पुष्टि करनी होती है जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

पुराने इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण संबंधी निदेश (डब्‍ल्‍यूईईई) में पुराने/बेकार इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों को इकट्ठा करने तथा उनकी रिसाइक्लिंग के लिए ई ई ई उत्‍पादकों पर वित्तीय तथा अन्‍य उत्तरदायित्‍वों का प्रावधान है।

खतरनाक अवयव प्रतिबंध निदेश (आर ओ एच एस), जो इलेक्ट्रिकल व इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरणों में खतरनाक पदार्थों (लेड, मर्करी, कैडमियम, हेक्‍सावैलेन्‍ट क्रोमियम तथा कुछ पोलिब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटारडैन्‍टस) के उपयोग पर रोक लगाते हैं।

विभिन्‍न भौगोलिक क्षेत्रों में लागू विनियमों के बारे में विस्‍तृत जानकारी के यह लिंक देखें- http://www.standardsmap.org/identify

चीन का खतरनाक अवयव प्रतिबंध (आर ओ एच एस) निदेश : ''इलेक्‍ट्रॉनिक सूचना उत्‍पादों (ई आई पी) द्वारा प्रदूषण नियंत्रण प्रशासन उपाय'' जिसे सामान्‍यतः आर ओ एच एस के नाम से जाना जाता है, को इलेक्‍ट्रिकल एवं इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरणों में खतरनाक चीजों के इस्‍तेमाल पर प्रतिबंध लगाता है। चीन में बिक्री के लिए 01 मार्च, 2007 के बाद तैयार सभी उत्‍पादों के लिए चरण 1 आवश्‍यकताओं का अनुपालन करना अनिवार्य है।

पुननिर्यात या अन्‍य निर्यात उत्‍पादों को तैयार करने हेतु देश में आयातित उत्‍पाद इसमें शामिल नहीं है। निम्‍नलिखित अपेक्षाओं का अनुपालन करना अनिवार्य हैः

  • इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खतरनाक पदार्थ हैं लेड (पी बी), हेक्‍सावैलेंट क्रोमियम (सीआर+), मर्करी (एच जी), कैडमियम (सीडी), पॉलिब्रोमिनेटेड बिफेनिल्‍स (पी बी बी एस) तथा पॉलिब्रोमिनेटेड डिफेनिल ईथर (पी बी डी ई एस). यदि ई आई पी में इनमें से कोई एक भी पदार्थ नहीं है तो निम्‍नलिखित चिह्न प्रयोग करने की आवश्‍यकता है।
  • यदि इनमें से कोई भी उक्‍त खतरनाक पदार्थ अधिक मात्रा में मिलता है तो इसके अंदर पर्यावरण अनुकूल प्रयोग अवधि (ई एफ यू पी) दर्शाते हुए साथ में निम्‍नलिखित चिह्न का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • यदि उत्‍पाद में संकेन्‍द्रण अधिक मात्रा में है तो ई आई पी उपयोगकर्ता पुस्तिका में टॉक्सिक का नाम एवं उन पदार्थों के विवरण शामिल होने चाहिए। चीन में कैडमियम के अलावा सभी हानिकारक पदार्थों में संकेन्‍द्रण की मात्रा 0.1 प्रतिशत है जिसका स्‍तर 0.01 प्रतिशत तय किया गया है।
  • ई आई पी की पैकिंग जीबी18455-2001 मानक के अनुसार ही होनी चाहिए।

चीन में उत्‍पादों को निर्यात करने या बेचने से पूर्व विनिर्माताओं को चाइना कम्‍पल्‍सरी सर्टिफिकेशन (सी सी सी) मार्क लेना अनिवार्य होता है।

विभिन्‍न भौगोलिक क्षेत्रों लागू विनियमों के बारे में विस्‍तृत जानकारी के यह लिंक देखें - http://www.standardsmap.org/identify

दक्षिण कोरिया ने 2 अप्रैल, 2007 से इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण तथा वाहनों के रिसाइक्लिंग संसाधन के लिए अधिनियम लागू किया है। विभिन्‍न भौगोलिक क्षेत्रों लागू विनियमों के बारे में विस्‍तृत जानकारी के यह लिंक देखें - http://www.standardsmap.org/identify

कैलिफोर्निया ने इलेक्‍ट्रॉनिक वेस्‍ट रिसाइक्लिंग एक्‍ट 2003 (ईडब्‍ल्‍यूआरए) पास किया है। यह कानून 1 जनवरी, 2007 के बाद से इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री पर रोकथाम लगाता है, जो ई यू आर ओ एच एस निदेश के अंतर्गत बिक्री के लिए प्रतिबंधित हैं, किन्‍तु इनमें एल सी डी, सी आर टी आदि शामिल हैं जिनमें सिर्फ चार भारी धातुओं पर आर ओ एच एस द्वारा प्रतिबंद्ध लगाया गया है। ई डब्‍ल्‍यू आर ए में प्रतिबंधित पदार्थ प्रकटन का प्रावधान है।

विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में लागू नियमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह लिंक देखें:http://www.standardsmap.org/identify